हज़रत सुलतान उल आरफीन बाएज़ीद बस्तामी
रहमतुह अल्लाह अलैहि
आप रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत १३६ हिज्री बिस्ताम शहर में हुई आप के वालिद जिन का नाम ईसा और कुनिय्यत अब्बू यज़ीद है बिस्ताम शहर के जलील-उल-क़दर बुज़ुर्गों में शुमार होते थे।। आप का इस्म गिरामी तीफ़ोर बा यज़ीद है। आप एक करदी आलम के शागिर्द थे, मगर बाद में इलम ज़ाहिरी को तर्क करके फ़क़ीरी की राह इख़तियार की।
आप की तरफ़ बहुत सी ख़िलाफ़ वाक़्य बातें मंसूब की गईं हैं जिन की कोई असल हक़ीक़त नहीं, जबकि बाअज़ हज़रात ने इन कलिमात के सबूत की सूरत में उस को हालत सुकर-ओ-ग़लबा पर हमल किया है।
आप के मुताल्लिक़ हज़रत जुनैद बग़्दादी रहमतुह अल्लाह अलैहि फ़रमाया करते थे कि बा यज़ीद हमारी जमात में ऐसे हैं जैसे जिब्रील फ़रिश्तों में .कि मैदान तौहीद में चलने वालों की इंतिहा बा यज़ीद की इबतिदा है। सालकीन जब आप के इबतिदाई क़दम पर पहुंचते हैं तो वो उन की इंतिहा होती है। आप हज़रत मारूफ़ करख़ी अलैहि अलरहमৃ के पैर भाई और हज़रत यहया बिन मआज़ राज़ी रहमतुह अल्लाह अलैहि के हमअसर हैं।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ रज़ी अल्लाह अन्ना से आप ने रुहानी फ़ैज़ हासिल किया। सय्यद अलताइफ़ৃ हज़रत जुनैद बग़्दादी अलैहि अलरहमৃ ने आप के मुताल्लिक़ फ़रमाया बाएज़ीद हमारे दरमयान इस तरह हैं जिस तरह मलाइका में हज़रत जिब्रील अलैहि अस्सलाम।
एक रात आप की वालिदा माजिदा ने पानी तलब क्या आप पानी लेने गए । कूज़े में पानी ना था। घड़ा देखा तो वो भी ख़ाली था। चुनांचे पानी लेने नदी पर चले गए। जब वापिस आए तो देखा वालिदा साहिबा सौ चुकी थीं। शदीद सर्दी का मौसम था। आप पानी का कूज़ा हाथ में उठाए खड़े रहे। जब ववालदा माजिदा की आँख खुली तो पानी पिया और आप को दुआओं से नवाज़ा और फ़रमाया कि कूज़ा क्यों ना नीचे रख दिया। अर्ज़ की कि में डरता रहा कि आप बेदार होकर पानी तलब फ़रमाएंगी और में हाज़िर ना हूँगा
आप फ़रमाते हैं कि एक मौक़ा पर वालिदा साहिबा ने फ़रमाया कि आधा दरवाज़ा बंद क्रुद्व में सुबह तक यही सोचता रहा कि कौनसा आधा दरवाज़ा बंद करूं, दाएं तरफ़ का या बाएं तरफ़ का? सुबह के वक़्त मुझे वो सब कुछ मिल गया जो में ढूंढता था । फिर आप को वो मुक़ाम हासिल हुआ कि हज़रत जुनैद बग़्दादी रहमतुह अल्लाह अलैहि जैसे अकाबिर भी पुकार उठे कि बा यज़ीद हमारी जमात में ऐसे हैं जैसे जिब्रील फ़रिश्तों में कि मैदान तौहीद में चलने वालों की इंतिहा बा यज़ीद की इबतिदा है। सालकीन जब आप के इबतिदाई क़दम पर पहुंचते हैं तो वो उन की इंतिहा होती है।
एक दफ़ा किसी ने बताया फ़ुलां जगह एक बहुत बड़े बुज़ुर्ग हैं । आप उन से मुलाक़ात करने गए। जब उन के पास पहुंचे तो उन्हों ने क़िबला की जानिब थोका। आप ये दिल ख़राश मंज़र देख कर वापिस आगए और फ़रमाया कि अगर उस शख़्स को तरीक़त की ज़रा भर भी ख़बर होती तो इसतरह ख़िलाफ़ अदब काम ना करता। आप के घर से मस्जिद तक का फ़ासिला चालीस क़दम था। लेकिन बोज्ह ताज़ीम मस्जिद आप ने कभी रास्ते में ना थोका
आप हज केलिए रवाना हुए तो बारह साल में काअबा मुअज़्ज़मा पहुंचे क्योंकि रास्ते में चंद क़दम चलते तो जाय नमाज़ बिछा कर दूर कात नमाज़ पढ़ते और फ़रमाते कि ये दुनिया के बादशाहों का दरबार नहीं कि आदमी एक दफ़ा में पहुंच जाय। आप हज से फ़ारिग़ हो कर वापिस आ गए लेकिन मदीना मुनव्वरा हाज़िरी ना दी और फ़रमाया ज़यारत मदीना को हज के ताबे बनाना ख़िलाफ़ अदब है। फिर आइन्दा साल ज़यारत रोज़ा नबवी के लिए हाज़िरी दी
आप के मलफ़ूज़ात में है कि नेकों की सोहबत नेक काम करने से बदरजहा बेहतर है और बुरुँ की सोहबत बुरे काम करने से ज़्यादा नुक़्सानदेह और मोहलिक है। तरीक़ा तीफ़ोरीह आप ही की तरफ़ मंसूब है और इस फ़िर्क़ा की बुनियाद सुकर-ओ-ग़लबा पर है। ये लोग हमेशा बनफ़्शा-ए-इलाही में मस्त सरशार रहते हैं। आप की तरफ़ भी जो ग़ैर मुनासिब बातें मंसूब की गई हैं या तो उनकी कोई असल नहीं, जबकि सबूत की सूरत में तहक़ीक़ी उल्मा ने उस को आप की हालत सुकर-ओ-ग़लबा हाल पर हमल किया है।
आप ने १५ शाबान २६१ हिज्री क़व्वासदार फ़ानी को उल-विदा कहा। अना लल्ला वाना अलैह राजावन ।आप का मज़ार शरीफ़ बिस्ताम में है।